डिलीवरी के बाद यदि बच्चा स्वतः नही रोता है तो डॉक्टर बच्चे को उल्टा लटकाकर क्यों रूलाने का प्रयास करते है



पिछले दिनों Quora पर एक व्यक्ति ने मुझसे यह प्रश्न पूछा..... कि क्या डिलीवरी के बाद बच्चे का रोना जरूरी है... यदि बच्चा नहीं रोता है तो डॉक्टर उसे रूलाने का प्रयास क्यों करते हैं.. यहां तक कि डॉक्टर कभी कभी बच्चे को उल्टा भी लटका देते है।

प्रश्न वास्तव में रोचक है..... शायद यही कारण है कि इस प्रश्न का उत्तर Quora पर लिखने के बाद इसे ब्लॉग पर भी लिख रहा हूँ।

इस प्रश्न का उत्तर जानने से पहले यह जानना बेहद जरूरी है कि जब तक बच्चा मां के गर्भ में होता है तब तक उसके फेफड़े में हवा नहीं होती और वह सांस नहीं ले पाता है।
इस समय बच्चा अपनी मां के गर्भ की एम्नियोटिक थैली में होता है इस एम्नियोटिक थैली में एम्नियोटिक द्रव भरा रहता है और यही द्रव बच्चे की फेफड़ों में भी भरा रहता है।
इस दौरान बच्चे को पोषण अपनी मां की गर्भनाल से मिलता है।

जब बच्चा गर्भ से बाहर आता है त़ो उसकी गर्भनाल काट दी जाती है.. उसके बाद डॉक्टर बच्चे को उल्टा लटका कर उसके फेफड़े में भरे एम्नियोटिक द्रव को बाहर निकालनेंं का प्रयास करते हैं ताकि बच्चे के फेफड़े पूर्णतया सांस लेने के लिए तैयार हो सके।

इस प्रक्रिया में रोना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि रोते समय बच्चा गहरी सांस लेता है जिससे फेफड़ों में भरे एम्नियोटिक द्रव को अच्छी तरह से बाहर निकाला जा सकता है।

इसीलिए डिलीवरी के समय जब बच्चा स्वतः नहीं रोता है तो डॉक्टर या नर्स उसे थपथपा कर रुलाने का प्रयास करते हैं।

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