प्लास्टिक प्रदूषण

इस फोटो को देखकर शायद आपको भी अचरज हुआ होगा.... कि इस बेजुबान जीव के साथ ऐसा किसने किया.... लेकिन हमें ऐसा अचरज नहीं करना चाहिए क्योंकि इस प्रकार के कई कारनामें हम जाने अनजाने में ही कर रहे हैं।
             ये तस्वीर स्पेन के कूड़े के ढेर पर बैठे एक सारस की है जो पूरी तरह प्लास्टिक से ढक चुका है.. यह प्लास्टिक इसकी जान पर बन आयी है।
1862 में जब एलेग्जेंडर पाकिस ने प्लास्टिक की खोज की... तो पूरी दुनिया ने प्लास्टिक की सहूलियत की सराहना की... करते भी क्यों ना ...क्योंकि प्लास्टिक अपने वजन से 2000 गुना वजन जो उठा सकती है। लेकिन इस सहूलियत की इतनी बड़ी कीमत आज हम सब और इन बेजुबान जीवों को चुकानी पड़ेगी.. ये किसी के जहन में भी नहीं आया होगा।
             साइंस एडवांसेज की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में बनने वाली कुल प्लास्टिक का केवल 9% प्लास्टिक ही रीसायकल की जाती है जबकि 12% प्लास्टिक जला दी जाती है तथा 79% प्लास्टिक पर्यावरण में संलिप्त रहती है।
               दुनिया में हर सेकंड 8 टन प्लास्टिक का सामान बनता है। हर मिनट 10 लाख प्लास्टिक की बोतलें खरीदी जाती है तथा सालाना 8 मिलियन टन प्लास्टिक महासागरों में पहुंचता है। अगर स्थिति यही रही तो 2050 तक 1अरब 20 करोड़ प्लास्टिक कचरा हो जायेगा जिससे निपट पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी होगा।

 पूरे विश्व में इतना ज्यादा प्लास्टिक हो चुका है कि इससे पृथ्वी को कम से कम 5 बार लपेटा जा सकता है।
आलम ये ही नहीं है अगर आप वियतनाम के थानहोआ तट पर जाएंगे तो वहाँ रेत से ज्यादा प्लास्टिक मिलेगी... पेड़ों पर पत्तियां कम प्लास्टिक की थैलियाँ ज्यादा मिलेंगी.. मानो वो एक तट नहीं बल्कि प्लास्टिक फैक्ट्री हो।
        बात यहीं नहीं खत्म होती है....कुछ दिनों पहले वियतनाम के पड़ोसी थाईलैंड में एक बीमार व्हेल को बचाने का भरसक प्रयास किया गया लेकिन हमारी यूज की हुई प्लास्टिक ने उसे मौत के मुंह में ढकेल दिया.. व्हेल के पोस्टमार्टम से बाद में पता चला कि उसके पेट में 8 किलोग्राम से भी ज्यादा प्लास्टिक थी।

 यानी हवा पानी के अलावा जो चीज हमारे जीवन में सबसे ज्यादा असर डाल रही है वह है प्लास्टिक....
 हम सब मिलकर ऐसे प्लास्टिक मय संसार को गढ़ रहे हैं जिनके बीच एक दिन हम सब दम घुट कर मर जाएंगे... 

अब फैसला हमारे हाथ में है कि हम अपने पर्यावरण और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए प्लास्टिक का त्याग करते हैं या आने वाली पीढ़ी को इससे होने वाले नुकसान को झेलने पर मजबूर करते हैं.......
     
                                                          ✍✍✍ अजय मिश्रा


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